प्रेम के दो युगल हंस,
बस लिए वादो के अंश,
नये प्यार की उमंग,
कर लिए दुनिया से जंग.
ना सुना किसी का सत्संग,
खड़े देख रहे माँ बाप दंग.
मिला दाल रोटी का दंश,
तब हुई मोह माया भंग.
आकर बने फिर घर अंग,
देख रहे हैं टी वी संग संग.
अब महगाई से नहीं रंज
परिवार धन्य! बस चादर तंग!
2 comments:
Bahut khoob tripathi ji
Mishra ji, dhanyavaad. Kshama karen kintu mai aapko pahchaan nahi paya.
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