आशाओ के दीप जला चल!
कहाँ भास्कर भारत का, तोड़े अंधियारे के बादल!
फैला दे उजाले का मंगल,
आशाओ के दीप...........
घने तिमिर जीवन में अब,
आशा के दीप जलना है,
युवा शक्ति के भटके मन को,
विजय द्वार दिखलाना है.
बाधाएँ अभिकारक है, तू, उमड़ घुमड़ के चलता चल!
फैलता जा जीवन पल पल,
आशाओ के दीप जला चल!
पंथ पंथ चिल्लाने से क्या,
कहीं पंथ मिल जाता है?
हाय! किनारे बैठ सोचने से,
क्या मोती आता है?
डूब और गहरे में जा कर, यहाँ का उथला है जल!
प्रान्त और भाषा से या फिर,
फर्क कहाँ पड़ता है वेश का,
टुकडे टुकड़ो में बटकर के
भला हुआ है कब स्वदेश का,
जाति-धर्म के झगड़े सारे, राष्ट्र हितो को रहे निगल!
सबके जख्मो पर मलहम मल,
आशाओ के दीप......
सबका हिस्सा है विकास में,
जैसे सूरज के प्रकाश में,
निर्धन को भी रोटी कपड़ा-
दिशा यही हो हर प्रयास में.
हर घर में चूल्हा जला नहीं, तो व्यर्थ परिश्रम है केवल!
सच्चे श्रम को तू आज निकल,
कहाँ भास्कर भारत का, तोड़े अंधियारे के बादल!
फैला दे उजाले का मंगल,
आशाओ के दीप...........
घने तिमिर जीवन में अब,
आशा के दीप जलना है,
युवा शक्ति के भटके मन को,
विजय द्वार दिखलाना है.
बाधाएँ अभिकारक है, तू, उमड़ घुमड़ के चलता चल!
फैलता जा जीवन पल पल,
आशाओ के दीप जला चल!
पंथ पंथ चिल्लाने से क्या,
कहीं पंथ मिल जाता है?
हाय! किनारे बैठ सोचने से,
क्या मोती आता है?
डूब और गहरे में जा कर, यहाँ का उथला है जल!
स्वेद की बूदे देंगी हल,
आशाओ के दीप...........
प्रान्त और भाषा से या फिर,
फर्क कहाँ पड़ता है वेश का,
टुकडे टुकड़ो में बटकर के
भला हुआ है कब स्वदेश का,
जाति-धर्म के झगड़े सारे, राष्ट्र हितो को रहे निगल!
सबके जख्मो पर मलहम मल,
आशाओ के दीप......
सबका हिस्सा है विकास में,
जैसे सूरज के प्रकाश में,
निर्धन को भी रोटी कपड़ा-
दिशा यही हो हर प्रयास में.
हर घर में चूल्हा जला नहीं, तो व्यर्थ परिश्रम है केवल!
सच्चे श्रम को तू आज निकल,
आशाओ के दीप......
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