फूटा ठीकरा
शेख बच निकला
तू था मुहरा
ढूंढ़ बकरा
शनैः रेत लो गला
दे चारा हरा
बेजुबाँ खरा
हक मागने लगा
तो दोष भरा
अना दोहरी
नश्तर सी चुभन
दगा अखरी!
यहाँ खतरा
ईश्वर हुआ अंधा
इन्सां बहरा
यार बिसरा
अब यहाँ क्या धरा
चलो जियरा
छटा कुहरा
छद्म बंधन मुक्त
पिया मदिरा
समा ठहरा
इंद्रधनुषी दुनिया
नशा गहरा
नेत्र बदरा
लगा झरझराने
रक्त बिखरा
नशा उतरा
आई घर की याद
बुझा चेहरा
शेख बच निकला
तू था मुहरा
ढूंढ़ बकरा
शनैः रेत लो गला
दे चारा हरा
बेजुबाँ खरा
हक मागने लगा
तो दोष भरा
अना दोहरी
नश्तर सी चुभन
दगा अखरी!
यहाँ खतरा
ईश्वर हुआ अंधा
इन्सां बहरा
यार बिसरा
अब यहाँ क्या धरा
चलो जियरा
छटा कुहरा
छद्म बंधन मुक्त
पिया मदिरा
समा ठहरा
इंद्रधनुषी दुनिया
नशा गहरा
नेत्र बदरा
लगा झरझराने
रक्त बिखरा
नशा उतरा
आई घर की याद
बुझा चेहरा
No comments:
Post a Comment