हमको बहुत लूटा गया,
वादा तेरा झूठा गया.
झगड़ा रहीम-औ-राम का,
पर, जान से चूजा गया.
दर पर, मुकम्मल उनके था,
बाहर गया, टूटा गया.
भारी कटौती खर्चो में,
मठ को बजट पूरा गया ,
मजलूम बन जाता खबर,
गर ऐड में ठूँसा गया. (ऐड = प्रचार/विज्ञापन/Advertisement)
उत्तम प्रगति के आंकड़े,
बस गाँव में, सूखा गया.
वादा सियासत का वही,
पर क्या अलग बूझा गया!!
है चोर, पर साबित नहीं,
दरसल, वही पूजा गया.
माझी, सयाना वो मगर,
मन से नहीं जूझा, गया.
वो कब मनाने आये थे?
हम से नहीं, रूठा गया.
चोटें तो दिल पर ही लगी,
खूं आँख से चूता गया.
जो चुप रहे, ढक आँख ले,
राजा ऐसा, ढूंढा गया.
पैसों से या फिर डंडों से,
सर जो उठा, सूता गया.
दारु बँटा करती यहाँ!
यह वोट भी, ठूँठा गया. (ठूँठ = NULL/VOID)
संन्यास ले, बैठा कहीं,
घर जाने का, बूता गया.
नव वर्ष ‘मंगल’ कैसे हो?
दिन आज भी रूखा गया.
खोजा “खुदा” वो ता-उमर!
आगे से इक भूखा गया.
पीछे रहा है ‘बस्तिवी’!
सर पर नहीं कूदा गया.
वादा तेरा झूठा गया.
झगड़ा रहीम-औ-राम का,
पर, जान से चूजा गया.
दर पर, मुकम्मल उनके था,
बाहर गया, टूटा गया.
भारी कटौती खर्चो में,
मठ को बजट पूरा गया ,
मजलूम बन जाता खबर,
गर ऐड में ठूँसा गया. (ऐड = प्रचार/विज्ञापन/Advertisement)
उत्तम प्रगति के आंकड़े,
बस गाँव में, सूखा गया.
वादा सियासत का वही,
पर क्या अलग बूझा गया!!
है चोर, पर साबित नहीं,
दरसल, वही पूजा गया.
माझी, सयाना वो मगर,
मन से नहीं जूझा, गया.
वो कब मनाने आये थे?
हम से नहीं, रूठा गया.
चोटें तो दिल पर ही लगी,
खूं आँख से चूता गया.
जो चुप रहे, ढक आँख ले,
राजा ऐसा, ढूंढा गया.
पैसों से या फिर डंडों से,
सर जो उठा, सूता गया.
दारु बँटा करती यहाँ!
यह वोट भी, ठूँठा गया. (ठूँठ = NULL/VOID)
संन्यास ले, बैठा कहीं,
घर जाने का, बूता गया.
नव वर्ष ‘मंगल’ कैसे हो?
दिन आज भी रूखा गया.
खोजा “खुदा” वो ता-उमर!
आगे से इक भूखा गया.
पीछे रहा है ‘बस्तिवी’!
सर पर नहीं कूदा गया.
1 comment:
है चोर, पर साबित नहीं,
दरसल, वही पूजा गया.
मित्र राकेश जी , बहुत बेहतरीन रचना !
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