जनता ने फिर से चुन ली, एस पी की सरकार,
लूट पात अब तुम करो, गै माया कै राज.
गै माया कै राज, कहै कवि 'राकेश'
हाथी की मुंडी करो, थाल में भर कै पेश.
देख सके तो देख ले, बी जे पी, कांग्रेस,
तुम जनता से नही जुड़े हो, यही रहा संदेश.
यही रहा संदेश, करो अब मीडिया बाजी,
चली भैईस साशन करे, खबर यही ताजी.
रोवै पंडित या दलित, तुला और तलवार,
हसि हसि जुगत लगावै, वोटन कै व्यापार.
वोटन कै व्यापार, कहैं 'सोशल इंजीनियरिंग'
मिले गला उनकै, जिनका गरियावै छिन छिन.
मुस्लिम वोटो के लिए, दिया कई लालच,
उर्दू शिक्षा माफ़ है, आरक्षण भी सच!
आरक्षण भी सच, बोलते मीठी बोली,
अब बस ईद मनावेंगे, छोड़ देंगे होली.
राजनीती कर कर के, हमको खूब छला,
जनता रक्खै याद, कौन कितना है भला,
कौन कितना है भला, कहै कवी 'राकेश',
अगले चुनाव तक तो, खुलैगो तुम्हारो भेस.
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