ऐसा लगता है की मेरा यों अब गुजरा जमाना है,
बेगाना रुख किये 'साकी'! यहाँ तेरा मैखाना है.
फकीरों को कहाँ यारो कभी मिलता ठिकाना है,
बना था आशियाना, आज जो बिसरा मैखाना है!
कभी अपना बना ले पर कभी बेदर्द ठुकरा दे,
सयाना जाम साकी! और आवारा मैखाना है.
तेरी हर एक हंसी पर ही चहक कर के मचल जाना.
हमेशा हुस्न-ए-जलवो पर जहाँ हारा मैखाना है.
तेरी तस्वीर के बिन ही मै पीने आज बैठा हूँ,
ख़ुशी या गम हो जुर्माना मुझे मारा मैखाना है.
हमेशा ही परोसे जाम हर 'शीशे' में वो भर के,
सरापा पीने के जज्बातों को प्यारा मैखाना है.
छलावे में कभी इन्सान से पाला नहीं पड़ता,
छिपाया है हकीकत से वो एक तारा मैखाना है.
बुढ़ापे में यही बेटों ने 'बस्तीवी' दिया ताना,
जवानी में लुटाया दोस्तों पे सारा मैखाना है.
बेगाना रुख किये 'साकी'! यहाँ तेरा मैखाना है.
फकीरों को कहाँ यारो कभी मिलता ठिकाना है,
बना था आशियाना, आज जो बिसरा मैखाना है!
कभी अपना बना ले पर कभी बेदर्द ठुकरा दे,
सयाना जाम साकी! और आवारा मैखाना है.
तेरी हर एक हंसी पर ही चहक कर के मचल जाना.
हमेशा हुस्न-ए-जलवो पर जहाँ हारा मैखाना है.
तेरी तस्वीर के बिन ही मै पीने आज बैठा हूँ,
ख़ुशी या गम हो जुर्माना मुझे मारा मैखाना है.
हमेशा ही परोसे जाम हर 'शीशे' में वो भर के,
सरापा पीने के जज्बातों को प्यारा मैखाना है.
छलावे में कभी इन्सान से पाला नहीं पड़ता,
छिपाया है हकीकत से वो एक तारा मैखाना है.
बुढ़ापे में यही बेटों ने 'बस्तीवी' दिया ताना,
जवानी में लुटाया दोस्तों पे सारा मैखाना है.
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