Monday, February 13, 2012

प्रेम के दो युगल हंस


प्रेम के दो युगल हंस,
बस लिए वादो के अंश,

नये प्यार की उमंग,
कर लिए दुनिया से जंग.

ना सुना किसी का सत्संग,
खड़े देख रहे माँ बाप दंग.

मिला दाल रोटी का दंश,
तब हुई मोह माया भंग.

आकर बने फिर घर अंग,
देख रहे हैं टी वी संग संग.

अब महगाई से नहीं रंज
परिवार धन्य! बस चादर तंग!

2 comments:

Jayprakash Mishra said...

Bahut khoob tripathi ji

Rakesh said...

Mishra ji, dhanyavaad. Kshama karen kintu mai aapko pahchaan nahi paya.