Friday, April 20, 2012

सपना

उनको भी नया सपना दिखाया जाये,
फिर मिट्टी में ही, उसको मिलाया जाये.
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पिछले वादों का जब भी, हवाला वो दें,
यों ही प्यार से, ठेंगा दिखाया जाये.
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क्या ताकत है, जज्बाती खयालातों में!
ये 'राखी के धागों' से, बताया जाये.
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जिन लोगों ने, देखा जिंदगी में ख़्वाब,
उन्हें रातों को भी अब जगाया जाये.
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आयी है मुबारक सी, घडी घर मेरे,
इक सपना जवाँ बेटे से बुनाया जाये.
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बे सर पैर की 'सच्ची' खयाली बातें,
हमको फिर से बच्चों सा बनाया जाये.
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लाखों सपने माँ की आँखों में बसने दो,
बेटी का चलो डोला उठाया जाये.
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दादी माँ के, 'वैसे ही रक्खे' हैं सब किस्से,
दिल से चुन के, पोते को सुनाया जाये.
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तेरी शख्शियत से इक है, सपना मुझ में,
काजल सा ये आँखों में, सजाया जाये.

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