Friday, April 20, 2012

OBO Chitra Se Kavya Ank -12


जान बचाने से पूर्व, क्या वो पूछे जात!
किस नदिया का जल पिया, कौन जबाँ में बात?

धर्म-भाषा-जात परे, एक भारत की नीव,
माँ मै ऐसे ही करूँ, कष्ट मुक्त हर जीव.

कहीं कोसने मात्र से, मिटा जगत में क्लेश,
ह्रदय द्रवित यदि दया से, हाथ बढ़ा 'राकेश'.

केवल वो सैनिक नहीं, वह भी बेटा-बाप,
सेवा की उम्दा रखी, दैहिक-नैतिक छाप.

बदन गला कश्मीर में, जला वो राजस्थान,
कुर्बानी की गंध से, महका हिन्दुस्तान.

खाकी वर्दी तन गयी, मिला आत्म विश्वास.
पूरी होगी कौम की, हर एक सुरक्षा आस.

सैनिक जैसा बल-ह्रदय, मांगे भारत देश,
तन-मन-धन अर्पित करो, विनती में 'राकेश'.

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